121 Bhagavad Gita Quotes in Hindi श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल विचार!

श्रीमद्भगवद्गीता गीता हमारे भारतीय संस्कृति की मुख्या आधारशिला हैं। इस ग्रन्थ को केवल भारत में ही नही बल्कि पूरी दुनिया में इससे पढ़ा जाता है और अनुसरण किया जाता है। इस पावन किताब Holy Book मैं लोगो की आस्था की देखता हुए हम आपके लिए लेकर आये है Bhagavad Gita Quotes in Hindi में।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

“श्रीमद्भगवद्गीता” हिन्दू धर्म के सभी पवित्र ग्रंथों में से सबसे ऊपर आता है । भगवत गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जो आज के दिन में पूरी दुनिया में प्रचलित है। हिन्दू ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कई और धर्मों के लोग इस ग्रन्थ का पालन करते है। यह हिन्दूऔ का सबसे प्रसिद्ध और पुज्जीनीय ग्रन्थ हैं । “भगवत गीता” के रचयिता वेदव्यास जी हैं जिन्होंने इसमें 18 पर्व (अध्याय) और 700 श्लोक इस किताब मैं लिखे है।

इस किताब में वो सभी बातों को दर्शाया गया है जो श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया हुआ उपदेश। यह केवल हिन्दुओ का पवित्र ग्रंथ है लेकिन कई बुद्धिजीवी का मानना इसमें लिखी गए हर एक शब्द हर मनुष्य के लिए है। यह किसी जाति, धर्म विशेष का ग्रंथ नही बल्कि हर धर्म, जाती और दुनिया के हर व्यक्ति विषय के लिए है।

जब आप भगवत गीता को पढ़ेंगे तो आप के ज्ञान में बृद्धि होगी और साथ-ही-साथ आपका इस दुनिया के लेकर नजरिया बदल जाएगा। क्यूंकि यह सभी मनुष्यों को सही कर्म करने के लिए अग्रसर करता है । अगर हम कलयुग की बात करें तो कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है बिना कर्म आपके जीवन का कोई अस्तित्व नहीं। इसी बात का जिक्र इस महाकाव्य में किया गया है।

जैसा की हम सब अवगत है, आज के समय हर कोई मनुष्य चिंताओं, समस्याओं, और तनावों से घिरा रहता है। कभी-कभी वह इतना उलझ जाता है की कैसे इस समस्या से बहार निकला जाए। यह सोच-सोच कर और ज्यादा दुखी हो जाता है।

जिससे कई बार वह समझ नहीं पता की यह मुसीबत आये तो हम क्या करे ? और कई बार नैजवान डिप्रेशन में चले जाते है ऐसी परिस्थिति में कुछ लोग तो अपनी जान भी लेते है। गीता के अनमोल वचन पढ़कर अपनी सभी प्रकार का समस्याओं का सामना करने मैं मदद मिलती है और इसके साथ ही आत्मिक शांति मिलती है। इससे मन को शक्ति मिलती है और आप पाने जीवन को खुशाल बना सकते है।

आज के भाग-दौड़ के माहौल में उलझनों में होना या तनाव एक आम बात है। यह समस्याऐं हर मनुष्य के जीवन का हिस्शा है आवश्यक है की हम हर परिस्थिति में अपने और परिवार को खुश रखें। तनाव से अपने आप को दूर रखना सबसे जरुरी है अपने मन को शांत रखें।

इसके लिए आप नियमित रूप से व्यायाम करें, मैडिटेशन meditation करें, अच्छे लोगों की सांगत में रहें और साथ ही धार्मिक किताबों का सहारा लें। भगवत गीता को पड़ने और उसमें लिखी बातों का अनुसरण करने से जो लोग बुरी राह पर चले जाते है उन भटके मनुष्यों को सही राह पर चलने के लिए अग्रसर करता है ।

हमने अपनी वेबसाइट के माध्यम से भगवद गीता कोट्स का बेहरतरीन संग्रह आप भी पढ़े और उनपे दोस्तों और रिश्तेदारों में भी साझा करें। हमारी ये कोशिश रहती है की आप सभी लोगों को काम से कम समय में ज्ञानपूर्ण बातें पहुंची जाए।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi | भगवद गीता कोट्स हिंदी में

भगवद गीता कोट्स हिंदी में
  • अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे. इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो. अपने कार्य करते रहो ।
  • अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है ।
  • अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ.
  • अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है.
  • आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है ।
  • आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो.
  • आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ न मध्य न अंत दिखाई दे रहा है.
  • इंसान अपने विश्वास से निर्मित होता है. जिस प्रकार वह विश्वास करता है उसी प्रकार वह बन जाता है ।
  • इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है.. कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा ।
  • इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है.
  • उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.
  • ऐसा कुछ भी नहीं , चेतन या अचेतन , जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो.
  • कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये.
  • कर्म उसे नहीं बांधता जिसने काम का त्याग कर दिया है.
  • कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं ।
  • कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है.
  • किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े.
  • केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है ।
  • क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.

Srimad Bhagavad Gita Quotes in Hindi | गीता के 121 अनमोल वचन

  • जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो.
  • जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त  करते हैं.
  • जब इंसान बेकार की इच्छाओ के त्याग कर देता है और मै और मेरा की लालसा से मुक्त हो जाता है तब ही उसे शांति मिल सकती है ।
  • जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं ।
  • जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है ।
  • जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन  करें.
  • जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ.
  • जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं , उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म . जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति.
  • जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है.
  • जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ.
  • जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है ।
  • जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
  • जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती ।
  • ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए.
  • ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है.
  • तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है, और फिर भी ज्ञान की बात करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।
  • दैवीय सम्प्रदा से युक्त पुरुष में भय का सर्वथा आभाव और सबके प्रति प्रेम का भाव होता है ।
  • नरक के तीन द्वार हैं – वासना, क्रोध और लालच ।
  • निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है.
  • पूर्णता के साथ किसी और के जीवन की नकल कर जीने की तुलना में अपने आप को पहचानकर अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है ।

श्रीमद् भागवत गीता के उपदेश

  • प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं.
  • प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता.
  • फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।
  • बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता.
  • बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए.
  • बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते.
  • भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी.
  • मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.
  • मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है.
  • मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है ।
  • मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा है तुम सबके हो ।
  • मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है.
  • मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ ।
  • मैं ऊष्मा देता हूँ, मैं वर्षा करता हूँ और रोकता भी हूँ, मैं अमरत्व  भी हूँ और मृत्यु भी.
  • मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ.
  • मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं.
  • मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ. मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ.
  • मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ.
  • मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक. लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ.
  • यद्द्यापी मैं इस तंत्र का रचयिता हूँ, लेकिन सभी को यह ज्ञात होना चाहिए कि मैं कुछ नहीं करता और मैं अनंत हूँ.

श्रीमद् भागवत गीता के अनमोल विचार

  • लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे. सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है.
  • वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना  जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं.
  • वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम  को प्राप्त होता है. इसमें कोई शंशय नहीं है.
  • वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं ” और “मेरा ” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है.
  • वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं.
  • वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है. इसमें कोई शंशय नहीं है.
  • वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है.
  • वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है ।
  • व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर चिंतन करें ।
  • व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.
  • सज्जन पुरुष अच्छे आचरण वाले सज्जन पुरुषो में , नीच पुरुष नीच लोगो में ही रहना चाहते है । स्वाभाव से पैदा हुई जिसकी जैसी प्रकृति है उस प्रकृति को कोई नहीं छोड़ता ।
  • सदैव सन्दहे करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही कही और।
  • सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. शोक मत करो.
  • समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता ।
  • स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन:  एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है.
  • स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है.
  • हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है.
  • हे अर्जुन !, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता.
  • हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं. मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं.
  • हे अर्जुन !, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता.
  • हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के द्वार के सामान है.

श्रीमद् भागवत कर्म पर उपदेश | कर्म पर गीता के श्लोक

  • किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें।
  • एक उपहार तभी अलसी और पवित्र है जब वह हृदय से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाये, और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद ना रखता हो।
  • ऐसा कोई नहीं, जिसने भी इस संसार में अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ है, चाहे इस काल(दुनिया) में हो या आने वाले काल में।
  • जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणों के लिए दृढ़ संकल्पों में स्थिर है, वह सामान रूप से संकटों के आक्रमण को सहन कर सकते हैं, और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने का पात्र है।
  • जो खुशियाँ बहुत लम्बे समय के परिश्रम और सिखने से मिलती है, जो दुख से अंत दिलाता है, जो पहले विष के सामान होता है, परन्तु बाद में अमृत के जैसा होता है – इस तरह की खुशियाँ मन की शांति से जागृत होतीं हैं।
  • भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में एकता/सामंजस्य हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने स्वयं/खुद के आत्मा को सही मायने में जानते हों।
  • नरक तिन चीजों से नफरत करता है: वासना, क्रोध और लोभ।
  • सन्निहित आत्मा के अनंत का अस्तित्व है, अविनाशी और अनंत है, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब है, इसलिए हे अर्जुन लड़ते रहो।
  • बुद्दिमान व्यक्ति ना ही जीवित लोगों के लिए शोक मनाते हैं ना ही मृत व्यक्ति के लिए। ऐसा कोई समय नहीं था, जब तुम और मैं और सभी राजा यहाँ एकत्रित हुए हों, पर ना ही अस्तित्व में था और ना ही ऐसा कोई समय होगा जब हम अस्तित्व को समाप्त कर देंगे।
  • अपने कर्म पर अपना दिल लगायें, ना की उसके फल पर।
  • सभी काम धयान से करो, करुणा द्वारा निर्देशित किये हुए।
  • अपने कर्त्तव्य का पालन करना जो की प्रकृति द्वारा निर्धारित किया हुआ हो, वह कोई पाप नहीं है।
  • गर्मी और सर्दी, खुशी और दर्द की भावनाएं, उनकी वस्तुओं के साथ होश से संपर्क के कारण होता है। वे आते हैं और चले जाते हैं, लम्बे समय तक बरक़रार नहीं रहते हैं। आपको उन्हें स्वीकार करना चाहिए।

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